प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... इस भाँति ज्ञानशंकर की ईर्ष्या देशानुराग के रूप में प्रकट हुई। असफल लेखक समालोचक बन बैठा। अपनी असमर्थता ने साम्यवादी बना दिया। यह सभी रँगे हुए सियार हैं, लुटेरों का ...

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